वर्तमान समय में पूरे देश समाज के साथ शिक्षा जगत भी एक विचित्र संक्रानित दशा से गुजर रहा है, लेकिन जैसा कि आप जानते हैं कि 'गिलास आधा भरा या गिलास आधा खाली' की दो विकल्पात्मक दृष्टियों से देखने पर वस्तुस्थिति भिन्न हो जाती है। स्पष्टतः हमें सकारात्मक दृष्टि से ही चीजों को देखना है। राष्ट्र का भविष्य युवा पीढ़ी के हाथों में सुरक्षित होगा। इसके लिए शिक्षण संस्थाओं में राष्ट्रनिर्माण का कार्य करने वाले हम सभी का यह गुरुतर दायित्व है कि हम राष्ट्र की तरुणाई को नव्यतर विचारों और आधुनातन तकनीक से लैस करें, तभी वह एक सशक्त सम्पन्न और शक्तिशाली भारत का निर्माण कर सकेगी। हम सभी प्राध्यापकों एवं महाविद्यालय परिवार के सदस्यों का यह धर्म बनता है कि उच्चतर मानकों के अनुरुप अध्यापक अध्ययन करें और अपने प्रिय विद्यार्थियों को योग्य, सक्षम, ज्ञानवान, विज्ञानवान, चरित्रवान और राष्ट्रहितकारी पूर्ण विकसित व्यक्तित्व के रुप में मानवता को समर्पित कर अपना ज्ञान यज्ञ पूरा करें।
विश्व के ज्ञान और विज्ञान का साहित्य विशाल और विपुल है। महापुरुषों में ज्ञान और साधना के क्षेत्र में अनेक भावों से विचार करके सामान्य मानवीय संस्कृति को पूर्ण और व्यापक बनाने की जो महती साधना की है. उनके अनुभूति जन्य ज्ञान और उपलब्धि को आने वाली पीढ़ियों को उपलब्ध कराना हमारा पहला कर्त्तव्य है अपने सीमित साधनों में इस महाविद्यालय के माध्यम से विद्यालय परिवार के सदस्यों तथा प्रबन्ध समिति के विशेष सहयोग से इस प्रतिस्पर्धी युग में आने वाली पीढ़ियों को समाज में अग्रणी भूमिका निभाने योग्य बना सका तो मेरा प्रयास सार्थक होगा।
डॉ० पंकज कुमार सिंह
प्राचार्य